राजस्थान में उर्जा [Energy]
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देश का पहला जल गृह 1897 में दार्जलिंग में सिद्रापोंगमें स्थापित किया
गया 
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संविधान में विधुत को
समवर्ती सूचि में स्थान दिया गया है 
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राजस्थान निर्माण के समय
यहा 15 छोटे विधुत गृह थे जिनकी कुल स्थापित विधुत क्षमता मात्र 13.27 मेगावाट थी 
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1 जुलाई ,1957 को राजस्थान राज्य विधुत मंडल कि स्थापना कि गई 
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विधुत सुधारो हेतु राजस्थान
विधुत क्षेत्र सुधार अधिनियम ,1999  1 जून,
2000 से लागु किया गया 
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उर्जा क्षेत्र में सुधार
हेतु राजस्थान विधुत नियामक आयोग का गठन 2 जनवरी ,2000 में किया गया 
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19 जून ,2000 को निम्न
5  विधुत कंपनियो का गठन किया गया 
1.  
राजस्थान राज्य विधुत
उत्पादन  निगम लि .[R VUNL] मुख्यालय जयपुर 
2. जयपुर विधुत वितरण निगम लि .[JVVNL]
3. राजस्थान राज्य विधुत प्रसारण निगम लि.[RVPNL]
मुख्यालय जयपुर 
4. अजमेर विधुत वितरण निगम लि .[AVVNL]
मुख्यालय अजमेर 
5. जोधपुर विधुत वितरण निगम लि. [JVVNL]
            
मुख्यालय जोधपुर 
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विधुत क्षेत्र सुधार अधिनियम
1999  के तहत 19 जुलाई ,2000 को राजस्थान
राज्य विधुत मंडल का विभाजन कर उसके कार्य को उपभोक्ता पांचो कंपनिया में बाँट
दिया गया 
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राजस्थान देश का ऐसा पहला
राज्य है जिसने एक ही चरण में विधुत क्षेत्र सुधार कार्यक्रम को अपनाया है यह
कार्यक्रम विश्व बैंक कि 18 करोड़ डॉलर कि ऋण सहायता से क्रियान्वित किया गया 
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सुपर क्रिटिकल पावर
स्टेसन  जिन बिजलीघरो में एक इकाई में 500
मेगावाट से अधिक विधुत उत्पादन होता  है उन्हें
सुपर क्रिटिकल बिजलीघर कहते है छबड़ा व् सूरतगढ़ में सुपर क्रिटिकल तकनीकी पर आधारित
विधुत गृह है सुपर क्रिटिकल तकनिकी पर आधारित राज्य कि प्रथम परियोजना छबड़ा
परियोजना है 
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राज्य में 31 दिसम्बर ,2019
 तक राज्य में उपलब्ध विधुत उत्पादन क्षमता
21175.90 MW हो गई है जो निम्न है 
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                               MW   | 
  
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   तापीय विधुत  
  -   11918.46  | 
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   पन बिजली     -   
  1961.95  | 
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   गैस विधुत      -    824.60  | 
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   आणविक उर्जा   -    456.74  | 
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   पवन उर्जा       -    3734.10  | 
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   सौर उर्जा        -    2178.10  | 
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   बायोमास        -    101.95  | 
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   कुल क्षमता     -    21175.90  | 
 






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